भारतीय सिनेमा का दिल, बॉलीवुड लम्बे समय से अपनी चकाचौंध, ग्लैमर और जीवन से बड़ी शख्सियतों के लिए जाना जाता है। इस जीवंत उद्योग ने अनेक सितारों को सिल्वर स्क्रीन से राजनितिक क्षेत्र में पदार्पण करते देखा है।
बॉलीवुड और भारतीय राजनीति के बीच का अंतर्सम्बंध कोई हाल की घटना नहीं है; यह एक दीर्घकालिक परंपरा है, जिसने देश के राजनीतिक परिदृश्य को महत्त्वपूर्ण तरीकों से आकार दिया है। यह लेख राजनीति में प्रवेश करनेवाली अनेक बॉलीवुड हस्तियों के जीवन और करियर पर प्रकाश डालता है, उनकी सिल्वर स्क्रीन यात्रा, योगदान और राजनीति क्षेत्र और भारतीय समाज दोनों पर उनके प्रभाव पर प्रकाश डालता है।
बॉलीवुड की दुनिया से राजनीति में आनेवाले सितारों में:
अभिनेता सुनील दत्त [6 जून 1929-25 मई 2005] :-
अभिनेता से नेता बने सुनील दत्त |
हिन्दी सिनेमा के शुरुवाती दशक के अभिनेता सुनील दत्त राजनीति में महत्त्वपूर्ण छाप छोड़नेवाले शुरुवाती सितारों में से एक थे। सुनील दत्त फ़िल्म "मदर इंडिया" [1957] और फ़िल्म "वक़्त" [1965] जैसी क्लासिक फ़िल्मों में अपनी भूमिकाओं के लिए जाने जाते है। उनका राजनीतिक क्षेत्र में क़दम रखने को सामजिक कारणों और वंचितों के कल्याण के प्रति गहरी प्रतिबद्धता थी।
सुनील दत्त 1980 के दशक में राजनीति में आये और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए थे। वे मुंबई उत्तर पश्चिम निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा के लिए चुने गए। इसके आलावा 1982 में वे बॉम्बे के शरीफ़ बने थे। उनका राजनीतिक करियर गरीबी, स्वास्थ्य देखभाल और सांप्रदायिक सदभाव जैसे मुद्दों से जुड़ा था।
उल्लेखनीय रूप से, सुनील दत्त शान्ति के प्रबल समर्थक थे और उन्होंने 1993 के मुंबई बम विस्फोटों के घावों को भरने, शान्ति मार्च आयोजित करने और राहत प्रयासों के लिए अथक प्रयास किया था। राजनीति में सुनील दत्त की विरासत को सार्वजनिक सेवा के प्रति उनके ईमानदार समर्पण और व्यापक भलाई के लिए अपनी सेलेब्रिटी स्थिति का लाभ उठाने की उनकी क्षमता के लिए याद किया जाता है।
नर्गिस दत्त : - [ 1 जून 1929 - 3 मई 1981
अभिनेत्री नर्गिस दत्त |
हालांकि, नर्गिस दत्त ने कभी कोई निर्वाचित पद नहीं संभाला लेकिन स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में उनका कार्य, विशेषकर कैंसर के उपचार में भारतीय समाज पर अमिट छाप छोड़ी है। वे नर्गिस फाउंडेशन की सह-संस्थापक थी। जो कैंसर रोगियों और स्वास्थ्य देखभाल पहलों का समर्थन करता है।
अमिताभ बच्चन [ 11 अक्टूबर 1942] : -
इलाहाबाद निर्वाचन क्षेत्र से अभिनेता बने सांसद |
1980 के दशक में बॉलीवुड सितारों की राजनीति में प्रवेश की एक लहर देखी गई, जिसका नेतृत्व किसी और ने नहीं बल्कि अमिताभ बच्चन ने किया। अक्सर बॉलीवुड के महानायक का राजनीति में प्रवेश का कारण, अपने करीबी मित्र राजीव गाँधी थे। जो उस समय भारत के प्रधानमंत्री थे। उनसे प्रभावित होकर अमिताभ 1984 में कांग्रेस में शामिल हुए।
अमिताभ बच्चन ने इलाहाबाद निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ा और भारी बहुमत से जीत दर्ज की थी, वे1987 तक संसद सदस्य के रूप में कार्यरत रहे। हालांकि, बोफोर्स घोटाले के कारण उनका राजनीतिक करियर अल्पकालिक रहा है। जिससे उस दौरान उनकी पार्टी की प्रतिष्ठा धूमिल हुई थी।
शत्रुघ्नसिन्हा [जन्म 15 जुलाई 1946] : -
तृणमूल कांग्रेस से सांसद बने अभिनेता शत्रुघ्नसिन्हा |
शत्रुघ्न सिन्हा, जिन्हे बॉलीवुड में "शॉटगन" के नाम से जाना जाता है, एक और प्रमुख अभिनेता है। जिन्होंने सफलतापूर्वक राजनीति में क़दम रखा। बॉलीवुड में चार दशकों से अधिक के करियर के साथ अपनी विशिष्ट आवाज़ और करिश्माई उपस्थिति के लिए जाना जाता है। वे 1980 के दशक के अंत में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए।
सिन्हा बिहार के पटना साहिब निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा के लिए चुने गए और कई कार्यकाल तक बने रहे। उनका राजनीतिक करियर उनके मुखर स्वभाव और पार्टी लाइनों को खासकर चुनौती देने के उनके स्वभाव के लिए भी जाना जाता है। जो अक्सर अपनी ही पार्टी के सदस्यों के साथ मतभेद में डाल देता है।
2019 में उन्होंने अपनी राजनीतिक यात्रा जारी रखते हुए, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रति निष्ठा बदल ली। अभी हाल ही में, कॉग्रेस के प्रति भी अपनी निष्ठा बदलते हुए तृणमूल कांग्रेस पार्टी को 2022 में अपनाकर 2024 के लोकसभा चुनाव में आसनसोल निर्वाचन क्षेत्र से सांसद चुने गए है।
जयाबच्चन [ जन्म 9 अप्रैल 1948] : -
अभिनेत्री जयाबच्चन सपा की सांसद |
हिन्दी सिनेमा की मशहूर अभिनेत्री और अमिताभ बच्चन की पत्नी जया बच्चन ने भी राजनीति में प्रवेश किया, परन्तु अधिक टिकाऊ और प्रभावशाली करियर के साथ। जया बच्चन समाजवादी पार्टी में शामिल हो गई और 2004 में राज्यसभा के लिए चुनी गई। जया बच्चन एक सक्रीय सदस्य रही है। वे महिलाओं के अधिकारों, शिक्षा और सामाजिक कल्याण से सम्बंधित मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करती है।
राज्यसभा में जया बच्चन की उपस्थिति उनके स्पष्ट भाषणों और विभिन्न सामाजिक मुद्दों की वकालत करती है। उनका राजनीतिक करियर दिखाता है कि कैसे मशहूर हस्तियाँ महत्त्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान आकर्षित करने के लिए अपने मंच का उपयोग कर प्रभावी सांसद या विधायक बन सकते है।
गोविंदा [ 21 दिसम्बर 1963 ] : -
कांग्रेस में शामिल हुए थे अभिनेता गोविंदा
2000 के दशक में बॉलीवुड के सबसे प्रिय अभिनेताओं में से एक गोविंदा का राजनीति में प्रवेश हुआ, जो अपनी कॉमेडी टाइमिंग और नृत्य कौशल के लिए जाने जाते थे। अभिनेता गोविंदा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए और 2004 में मुंबई उत्तर निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा के लिए चुने गए। उस चुनाव में प्रमुख भाजपा उम्मीदवार को हराकर 2009 तक सांसद बने रहे।
हालांकि, गोविंदा का राजनीतिक करियर चुनौतियों से भरा था। जिसमे अनुपस्थिति और अक्षमता के आरोप भी शामिल थे। राजनीति में उनके प्रवेश को लेकर शुरुवाती उत्साह के बावजूद उनका कार्यकाल उनके मतदाताओं की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा। 2024 में लोकसभा चुनाओं से पहले गोविंदा महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना में शामिल हो गए है। उनकी यात्रा एक चेतावनी की तरह है कैसे मनोरंजन में लोकप्रियता हमेशा राजनीतिक सफलता में तब्दील नहीं होती है।
हेमामालिनी [16 अक्टूबर 1948] : -
बॉलीवुड में "ड्रीमगर्ल " के नाम से जाने जानेवाली अभिनेत्री हेमा मालिनी बनी भाजपा सांसद |
बॉलीवुड की "ड्रीमगर्ल" हेमा मालिनी का अपने शानदार फ़िल्मी करियर के साथ-साथ राजनीति में भी उल्लेखनीय करियर रहा है। वह 1990 के दशक के अंत में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुई और तब से एक सक्रीय सदस्य बानी है। हेमा मालिनी 2014 में उत्तर प्रदेश के मथुरा निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा के लिए चुनी गई और 2019 तथा 2024 में भी फिर से चुनी गई।
एक सांसद में हेमा मालिनी ने महिला सशक्तिकरण, ग्रामीण विकास और पर्यटन जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया है। वह अपने निर्वाचन क्षेत्र में बुनियादी ढाँचे और रहने की स्थिति में सुधार लाने के उद्देश्य विभिन्न पहलों शामिल रही है। हेमा मालिनी राजनीतिक करियर दर्शाता है कि कैसे मशहूर हस्तियाँ मनोरंजन राजनीति में दोहरी भूमिकाएँ सफलतापूर्वक निभा सकती है और दोनों क्षेत्रों महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकती है।
राज बब्बर [23 जून 1953] :-
अभिनेता से बने राजनेता राजबब्बर |
बॉलीवुड में अपने विशिष्ट अभिनय के द्वारा जानेमाने अभिनेता राजबब्बर ने अपना राजनीतिक सफ़र 1980 दशक में शुरू किया था। वह शुरुवात में जनता दल के साथ जुड़े थे और बाद में उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए। 1994 में राजबब्बर को समाजवादी पार्टी प्रतिनिधित्व करते हुए आगरा निर्वाचन क्षेत्र से 10 वी लोकसभा के लिए सांसद चुने गए थे, वहीं 1999 के चुनावों वे पुनः निर्वाचित हुए थे।
अभिनेता राजबब्बर ने 2006 समाजवादी पार्टी छोड़ दी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए। तब से वह कांग्रेस पार्टी के सक्रीय सदस्य रहे है। उन्होंने कांग्रेस पार्टी के भीतर विभिन्न पदों पर कार्य किया है, राज्य और राष्ट्रीय राजनीति में सक्रीय रूप से भाग लेते रहे है।
राजबब्बर सामजिक न्याय के मुद्दों की वकालत करने में शामिल रहे है, विशेष रूप से किसानो, मजदूरों और समाज के वंचित वर्गों के कल्याण पर ध्यान केंद्रित किया है। अपने पूरे राजनीतिक जीवन में बब्बर को भारतीय राजनीति की चुनौतियों का सामना करना पड़ा है।
जयाप्रदा [3 अप्रैल 1962] :-
अभिनेत्री जयाप्रदा |
उनका राजनीतिक करियर महिलाओं के अधिकारों और सामजिक कल्याण के लिए उनकी वकालत चिन्हित किया गया है। राजनीतिक प्रतिद्वंदिता और व्यक्तिगत हमलों सहित महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करने के बावजूद जयाप्रदा भारतीय राजनीती में एक दृढ़ हस्ती बनी है।
स्मृति ईरानी [ 23 मार्च 1976 ] : -
अभिनेत्री से केंद्रीय मंत्री बनी स्मृति ईरानी | |
शायद राजनीति में किसी बॉलीवुड सेलेब्रिटी की सबसे महत्त्वपूर्ण सफलता की कहानियों में से एक पूर्व सांसद 'स्मृति ईरानी' की है। प्रतिष्ठित टी. वी. शृंखला "क्योंकि सास भी कभी बहु थी" में तुलसी विरानी की भूमिका के लिए जानी जानेवाली स्मृति ईरानी ने भारतीय जनता पार्टी [भाजपा] के साथ राजनीति में क़दम रखा था। उनका राजनीतिक करियर 2000 के दशक की शुरुवात में जोरदार ढंग से शुरू हुआ और वह तेजी से आगे बढ़ते गई।
स्मृति ईरानी ने तत्कालीन मौजूदा राहुल गाँधी को चुनौती देते हुए 2014 का लोकसभा चुनाव अमेठी निर्वाचन क्षेत्र से लड़ा था। हालांकि, वह मामूली अंतर से हार गई थी। लेकिन उनके उत्साही अभियान ने उन्हें महत्त्वपूर्ण सम्मान और पहचान दिलाई। 2019 के आम चुनावों में उन्होंने फिर से अमेठी से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की, जो एक महत्त्वपूर्ण राजनीतिक जीत थी।
केंद्रीय मंत्री के रूप में ईरानी ने मानव संसाधन विकास और कपडा सहित विभिन्न विभागों का कार्यभार संभाला और प्रमुख नीतिगत पहलों को लागू करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनका करियर इस बात का प्रमाण है कि कैसे दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत से राजनीति में उल्लेखनीय सफलता मिल सकती है, परन्तु 2024 के आम चुनाव में राजनीति ने अपनी करवट बदल दी और वह अमेठी से चुनाव हार गयी।
कंगना रनौत [23 मार्च 1987] :-
बॉलीवुड की बेबाक अभिनेत्री एवं सांसद कंगना रनौत |
बॉलीवुड की सबसे बेबाक और विवादित अभिनेत्रियों में से एक कंगना रनौत ने जब राजनीति में प्रवेश करने की घोषणा की थी तब काफ़ी सुर्खियाँ बटोरी थी। फ़िल्म "क्वीन" , "तनु वेड्स मनु" और "मणिकर्णिका: द क्वीन ऑफ झांसी" जैसी फ़िल्मों में अपने साहसिक अभिनय के लिए जानी जानेवाली रनौत हमेशा सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर अपनी राय रखती रही।
कंगना एक छोटे शहर की लड़की से बॉलीवुड में एक शीर्ष अभिनेत्री तक की उनकी यात्रा प्रेरणादायक है और राजनीति में उनके प्रवेश को सामाजिक परिवर्तन को प्रभावित करने की उनकी इच्छा की स्वाभाविक प्रगति के रूप में देखा जाता है।
2023 में कंगना रनौत ने सार्वजनिक रूप से ख़ुद को भारतीय जनता पार्टी [भाजपा] के साथ जुड़ते हुए राजनीति में शामिल होने की घोषणा कर दी। उनका निर्णय वर्षों तक अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म के माध्यम से मज़बूत राजनीतिक विचार व्यक्त करने और विभिन्न सरकारी नीतियों का समर्थन करने के बाद आया। कंगना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कट्टर समर्थक है।
निडर होकर अपनी बात कहने के लिए मशहूर कंगना रनौत की राजनीति में एंट्री से गतिशीलता और विवाद का एक नया स्तर आने की उम्मीद है। उनके प्रार्थमिक फोकस क्षेत्रों में महिलाओं के अधिकार, अभिव्यक्ति की आज़ादी और स्वतंत्रता और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद शामिल होने की संभावना है।
बॉलीवुड हस्तियों का राजनीति में प्रवेश अपने साथ लाभ और चुनौतियों दोनों को लेकर आता है। उनकी व्यापक लोकप्रियता और मान्यता उन्हें एक ऐसा मंच प्रदान करती है जिसकी बराबरी कुछ अन्य राजनेता ही कर सकते है। यह सेलेब्रिटी स्थिति अक्सर महत्त्वपूर्ण चुनावी लाभ में तब्दील हो जाती है।
0 टिप्पणियाँ