लुमियर ब्रदर्स ने मुंबई की मायानगरी में 7 जुलाई 1896 में पहली फिल्म प्रदर्शित की थी। इसके आलावा एच. एस. भाटवाडेकर ने पहली बार सं. 1901 भारतीय विषयवस्तु को लेकर न्यूज़ रीलों की शूटिंग भी की थी। 

     परन्तु हमारे हिंदी सिनेमा के स्वर्णिम इतिहास में श्री.दादा साहेब फाल्केजी ने सं.1913 में भारतीय हिंदी सिनेमा के इतिहास में दर्ज होनेवाली पहली फिल्म '' राजा हरिश्चंद्र '' का निर्माण कर सिनेमा इंडस्ट्री में फिल्म निर्माण की गति प्रदान की थी। इसके पश्चात अर्देशिर इराणी ने सं. 1931 में प्रथम बोलती फिल्म '' आलम आरा '' का निर्माण किया था। इस दौरान सिनेमा के लिए संगीत,फोटोग्राफी आदि क्षेत्रों में विकास हो चूका था।                                         

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         वैसे हिंदी सिने जगत के प्रारम्भिक दौर में फिल्मों की कहानियाँ पौराणिक तथा ऐतिहासिक तथ्यों आधारित होती थी।19 वीं शताब्दी के प्रारम्भिक दौर में कोई ख़ास फ़िल्में नही बनी। जबकि शताब्दी के अंत में फिल्मों के निर्माण का सिलसिलाआरंभ हो गया था।

  1931 से लेकर 1935 तक की बॉलीवुड की फ़िल्में : -          

        1] फिल्म '' आलम आरा '', '' घर की लक्ष्मी '', '' अयोध्या '', '' लाल -ए - यमन '', '' चार दरवेश '', '' बाम्बे की मोहनी '', '' डाकू की लड़की '', '' नई दुनिया '', '' आदमी और पडोसी '', '' दुनिया ना माने '', '' हंटरवाली '' और फिल्म '' वतन '' है। 

          वैसे अभिनय के क्षेत्र में अभिनेता और अभिनेत्रियों उदय सं. 1936 में हिमांशु राय द्वारा निर्मित फिल्म '' अछूत कन्या '' से हुआ। फिल्म को संगीत सरस्वती देवी ने दिया था, जबकि अभिनेता अशोक कुमार और अभिनेत्री देबीका रानी से हम परिचित हुए थे। इसके पहले हमने सं. 1932 में बनी '' सुबह का सितारा '' में गायक अभिनेता कुन्दनलाल सहगल से परिचित हुए थे।                                  

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अशोक कुमार, कुन्दनलाल सैगल और देबीका रानी
                                

       सं. 1941 में फिल्म '' मंथन '' तथा फिल्म '' सिकंदर '' जिसका निर्देशन सोहराब मोदी ने किया था। इन फिल्मों के जरिये हम पृथ्वीराज कपूर के बारे में जान सके है। आज पृथ्वीराज कपूर को भारतीय रंगमंच के प्रमुख स्तम्भों में माना जाता है। 

       पृथ्वीराज कपूर का जन्म पाकिस्तान के फैसलाबाद में 3 नवंबर 1906 में हुआ था। उन्होंने ही मुंबई में सं.1944 को '' पृथ्वी थिएटर '' की स्थापना की थी। उनके नाम सं. 1931 में फिल्म '' आलम आरा '', सं.1937 में फिल्म  '' विद्यापति '', सं. 1941 में फिल्म '' सिकंदर '',सं.1960 में फिल्म ''मुग़ल - ए - आज़म '' और सं.1963 में फिल्म '' प्यार किया तो डरना क्या '' दर्ज है।                                           

19वीं सदी के प्रसिद्ध बॉलीवुड अभिनेता
अभिनेता पृथ्वीराज कपूर

          सं.1950 में फ़िल्में श्वेत - श्याम [ ब्लैक एंड वाइट ] होती थी। इस दौरान    गुरुदत्त,राज कपूर ,दिलीप कुमार,देव  आनन्द तथा अन्य अभिनेता उभर कर सामने आये। सं. 1930 - 40 के बीच देबकी बोस, चेतन आनंद ने फिल्मों में प्रवेश का लिया था। 

          आजादी के आसपास सैंतालीस के दौरान हिंदी फिल्मों का आधुनिकरण ने गति पकड़ी। इस दरम्यान सत्यजीत रे और बिमल रॉय जैसे दिग्गजों  फिल्मों को संवारना शुरू कर दिया था।

                  पचास के दशक में अशोक कुमार, फिल्म '' समाधि '' और फिल्म '' संग्राम '' में , दिलीप कुमार फिल्म '' बाबुल '', फिल्म '' जोगन'', और फिल्म ''आरजू '', राज कपूर फिल्म '' दास्तान '', और फिल्म '' सरगम '' , अजित फिल्म '' बेकसूर '' तथा भारत भूषण फिल्म '' आँखें '' में नजर आये थे। 

                  अगले वर्ष ही भगवान दादा फिल्म '' अलबेला '' में, प्राण फिल्म '' बहार '' में, प्रेमनाथ फिल्म '' बादल '' में, बलराज साहनी फिल्म '' हम लोग '' में।

                  इनके अतिरिक्त तिरपन से लेकर साठ के दशक तक किशोर कुमार, बलराज सहानी, सुनील दत्त, राजेंद्र कुमार, राजकुमार, शम्मी कपूर आदि अभिनेता हिंदी सिनेमा के स्क्रीन पर अपनी दस्तक दे दी थी।

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राजकुमार,सुनील दत्त, राजेंद्र कुमार और शम्मी कपूर
                                             

             19 वीं शताब्दी में कई अभिनेताओं का हिंदी   सिनेमा जगत में अपना अपना अलग ही बोलबाला था। हमने अब तक साठ के दशक तक के अभिनेताओं को जाना है। अब हम इसके बाद के अभिनेताओं को जानने का प्रयत्न करेंगे। 
           मनोज कुमार फिल्म '' अपने हुए पराये '' [1964 ], धर्मेंद्र फिल्म '' आकाश दीप '' [1965 ], शशि कपूर फिल्म '' जब जब फूल खिले ''[1965], संजीव कुमार फिल्म '' गुनहगार '' [1967], जितेंद्र फिल्म '' छोटी सी मुलाक़ात '', संजय खान फिल्म '' राज '', जितेन्द्र फिल्म '' गुनाह का देवता '' [1967], उत्तम कुमार फिल्म '' छोटी सी मुलाकात '',[1967] फ़िरोज खान फिल्म '' रात और दिन '' [1967], जॉय मुखर्जी फिल्म '' शागिर्द '' [1967], विनोद खन्ना फिल्म '' मन की बात '' [1968 ]

   आधुनिक फिल्मों  सं. 1970 से आगे : -  

     निर्देशक ऋषिकेश मुखर्जी की फिल्म '' आनंद '' में राजेश खन्ना तथा अमिताभ बच्चन दोनों एकसाथ नजर आये थे। फिल्म '' चेतना '' में शत्रुघ्न सिन्हा , निर्देशक टी. प्रकाश राव की फिल्म '' घर घर की कहानी '' में राकेश रोशन नजर आये थे। 

      सं. 1971 में ऋषिकेश मुखर्जी की फिल्म '' बुड्ढा मिल गया '' में नविन निस्चल, सं. 1972 में निर्देशक नरेंद्र बेदी की फिल्म '' जवानी दीवानी '' में रणधीर कपूर, फिल्म '' सबसे बड़ा सुख '' में विजय अरोड़ा, सं. 1973 में फिल्म '' दो फूल '' में विनोद मेहरा, सं. 1976 में निर्देशक बासु चटर्जी की फिल्म '' चितचोर '' में अमोल पालेकर, सं. 1981 में निर्देशक सई परांजपे की फिल्म '' चश्मे बद्दूर '' में फारुख शेख, निर्देशक के. बालचंदर की फिल्म '' एक दूजे लिए '' में कमल हसन, निर्देशक श्याम बेनेगल की फिल्म '' कलयुग '' में राजबब्बर, निर्देशक बासु चटर्जी की फिल्म '' शौक़ीन '' में मिथुन चक्रवर्ती।  

सं. 1983 से : -

          इन अभिनेताओं के आलावा सं. 1983 में निर्देशक टी. रामाराव की फिल्म '' अँधा कानून '' में रजनीकांत, निर्देशक राहुल रवैल की फिल्म '' बेताब '' में सनी देओल, निर्देशक सुभाष घई की फिल्म '' हीरो '' में जैकी श्रॉफ, फिल्म '' जाने भी दो यारों '' में नसीरुद्दीन शाह, फिल्म '' वो सात दिन '' में अनिल कपूर।

          सं. 1985 में निर्माता - निर्देशक राजकपूर की फिल्म '' राम तेरी गंगा मैली '' में राजीव कपूर, निर्देशक शिबू मित्रा फिल्म '' इल्जाम '' में गोविंदा, सं. 1987 में फिल्म '' दरार '' में चंकी पांडे, इसी वर्ष निर्देशक रघुवीर कुल की फिल्म '' मोहरे '' में नाना पाटेकर, सं. 1988 में निर्देशक जे. के. बिहारी  फिल्म '' बीवी हो तो ऐसी '' में सलमान खान, निर्देशक मंसूर खान की फिल्म '' क़यामत से क़यामत तक '' में आमिर खान, सं. 1994 में निर्देशक समीर मलकान  फिल्म '' मै खिलाड़ी तू अनाड़ी '' में अक्षयकुमार, निर्देशक राजीव राय फिल्म '' मोहरा '' में सुनील शेट्टी, के आलावा फिल्म '' मै खिलाडी अनाड़ी '' में सैफ अली, भी नजर आये। 

           खैर ! 19 वीं सदी में इन अभिनेताओं ने मुंबई की माया नगरी में स्थित हिंदी सिनेमा जगत के गौरवशाली बॉलीवुड को विश्व में बहुत प्रसिद्धि दिलवाते हुए स्टार युग की शुरुवात की है।