सर्वतोमुखी प्रतिभा के धनि - गुलाब राय
जीवन भर प्रचार की लालसा से परे साहित्य साधना में लीन रहकर गंभीर विचारक , समीक्षक , जागरूक संपादक जैसे सर्वतोमुखी प्रतिभा के धनि बाबू गुलाबराय जी ने अपनी साहित्य साधना के जरिये हिंदी साहित्य में अपनी विशिष्ट पहचान दर्ज की है। उन्होंने अपनी लम्बी साहित्यिक यात्रा में रेखा चित्र , यात्रा साहित्य तथा संस्करण लेखन में भी अपनी कलम का चमत्कार दिखाया है।
श्री . भवानी प्रसाद जी के घर इटावा में सं 1887 ई को गुलबराय जी का जन्म हुआ। उनके पिता मैनपुरी में कार्यरत होने के कारण गुलाबराय
की प्रारंभिक शिक्षा मैनपुरी में ही हुई। आठवीं कक्षा तक उर्दू और फ़ारसी पढ़ी थी तथा नौवीकक्षा में आने के पश्चात संस्कृत पढ़ना आरम्भ किया। उन्होंने सं 1905 ई में मिशन हाईस्कूल से एंट्रेंस की परीक्षा उत्तीर्ण की। वे उच्च शिक्षा के लिए आगरा गए और वहां से बी ए पास किया। अपने अध्ययनकाल में उनकी रूचि तर्क शास्त्र तथा दर्शन शास्त्र की ओर थी। इसी कारण उन्होंने दर्शन शास्त्र में एम् ए की परीक्षा उत्तीर्ण की। इसके अलावा गुलाबराय ने एल एल बी की परीक्षा भी उत्तीर्ण की थी। उन्होंने छतरपुर रियासत के महाराज को दर्शन सिखाने का भी कार्य निभाया। वकालत में रूचि न होने के कारण उसमे उन्होंने अधिक ध्यान नहीं दिया। चीफ जज के पद पर कार्य करते हुए सं 1932 ई में अवकाश ग्रहण कर लिया और आगरा लौट आए।
गुलाबराय ने आगरा से प्रकाशित होने वाले हिंदी मासिक पत्र ' साहित्य सन्देश ' का बहुत समय तक संपादन भी किया। हिंदी साहित्य में उनकी समीक्षात्मक कृतियों का ही विशेष सम्मान और प्रचार है। वे दार्शनिक , आलोचक रूप को ही सर्वाधिक ख्याति प्राप्त हुई है। उन्होंने दिवेदी युग से अपना लेखन कार्य आरम्भ किया था।
गुलाबराय जी की शैली व्याख्यात्मक और आलोचनात्मक दोनों ही है। वे दार्शनिक होने के कारण उनकी शैली की मुख्य विशेषता थीं। उन्होंने न केवल साहित्य को ही अपने निबंधों का विषय बनाया है अपितु इतिहास , राजनीति , धर्म , दर्शन , मनोविज्ञान , पर्व त्यौहार , सामायिक आंदोलन तथा घटनाएं आदि अनेक क्षेत्रों से विषय चुनकर निबंध लिखे है।
गुलाबराय के निबंध में ' आत्मनिर्माण ', ' अध्ययन और आस्वाद ', ' प्रबंध प्रभाकर ' , ' जीवन पथ ' , ' विद्यार्थी जीवन ' , और ' मेरी असफलताएं आदि उल्लेखनीय कृतियां है। इसके आलावा नीचे कुछ कृतियां दी गई है।
सर्वतोमुखी प्रतिभा के धनि - गुलाब राय |
श्री . भवानी प्रसाद जी के घर इटावा में सं 1887 ई को गुलबराय जी का जन्म हुआ। उनके पिता मैनपुरी में कार्यरत होने के कारण गुलाबराय
की प्रारंभिक शिक्षा मैनपुरी में ही हुई। आठवीं कक्षा तक उर्दू और फ़ारसी पढ़ी थी तथा नौवीकक्षा में आने के पश्चात संस्कृत पढ़ना आरम्भ किया। उन्होंने सं 1905 ई में मिशन हाईस्कूल से एंट्रेंस की परीक्षा उत्तीर्ण की। वे उच्च शिक्षा के लिए आगरा गए और वहां से बी ए पास किया। अपने अध्ययनकाल में उनकी रूचि तर्क शास्त्र तथा दर्शन शास्त्र की ओर थी। इसी कारण उन्होंने दर्शन शास्त्र में एम् ए की परीक्षा उत्तीर्ण की। इसके अलावा गुलाबराय ने एल एल बी की परीक्षा भी उत्तीर्ण की थी। उन्होंने छतरपुर रियासत के महाराज को दर्शन सिखाने का भी कार्य निभाया। वकालत में रूचि न होने के कारण उसमे उन्होंने अधिक ध्यान नहीं दिया। चीफ जज के पद पर कार्य करते हुए सं 1932 ई में अवकाश ग्रहण कर लिया और आगरा लौट आए।
गुलाबराय ने आगरा से प्रकाशित होने वाले हिंदी मासिक पत्र ' साहित्य सन्देश ' का बहुत समय तक संपादन भी किया। हिंदी साहित्य में उनकी समीक्षात्मक कृतियों का ही विशेष सम्मान और प्रचार है। वे दार्शनिक , आलोचक रूप को ही सर्वाधिक ख्याति प्राप्त हुई है। उन्होंने दिवेदी युग से अपना लेखन कार्य आरम्भ किया था।
गुलाबराय जी की शैली व्याख्यात्मक और आलोचनात्मक दोनों ही है। वे दार्शनिक होने के कारण उनकी शैली की मुख्य विशेषता थीं। उन्होंने न केवल साहित्य को ही अपने निबंधों का विषय बनाया है अपितु इतिहास , राजनीति , धर्म , दर्शन , मनोविज्ञान , पर्व त्यौहार , सामायिक आंदोलन तथा घटनाएं आदि अनेक क्षेत्रों से विषय चुनकर निबंध लिखे है।
गुलाबराय के निबंध में ' आत्मनिर्माण ', ' अध्ययन और आस्वाद ', ' प्रबंध प्रभाकर ' , ' जीवन पथ ' , ' विद्यार्थी जीवन ' , और ' मेरी असफलताएं आदि उल्लेखनीय कृतियां है। इसके आलावा नीचे कुछ कृतियां दी गई है।
शांति धर्म - 1913
मैत्री धर्म - 1913 कर्तव्य शास्त्र - 1915 तर्क शाास्त्र - 1916 पाश्चात्य दर्शनों का इतिहास - 1917 फिर निराशा क्यों - 1918 नवरस - 1933 प्रबंध प्रभाकर - 1933 निबंध रत्नाकर - 1934 विज्ञान विनोद - 1937 |
हिंदी साहित्य का सुबोध इतिहास - 1940
हिन्दी साहित्य का संक्षिप्त इतिहास - 1943 मेरी असफलताएँ - 1946 सिद्धांत और अध्ययन - 1946 काव्य के रूप - 1947 हिंदी काव्य विमर्श - 1947 साहित्य समीक्षा - 1947 हिंदी नाट्य विमर्श - 1947 भारतीय संस्कृति की रूप रेखा - 1952 गांधीय मार्ग - 1953 |
मन की बाते - 1954
अभिनव भारत के प्रकाश स्तम्भ - 1955 सत्य और स्वतंत्रता के उपासक - 1955 कुछ उथले कुछ गहरे - 1955 मेरे निबंध - 1955 जीवन पथ - 1954 अध्ययन और अस्वाद - 1956 विद्यार्थी जीवन - 1956 हिंदी कविता और रहस्यवाद - 1956 |
0 टिप्पणियाँ