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हिंदी सिनेमा के हास्य कलाकार राजेन्द्रनाथ [ पोपटलाल ]
                    साठ के दशक में हिंदी सिनेमा जगत के सबसे लोकप्रिय कॉमेडियन राजेंद्रनाथ अपने अभिनय से दर्शकों के मनों को जीत रहे थे, तब इसी हिंदी सिनेमा जगत में स्थापित जॉनीवॉकर जैसे बड़े हास्य कलाकार को एक और हास्य अभिनेता महमूद अपने अभिनय की काबलियत से उनके लिए चुनौती बने हुए थे। उस दौरान राजेन्द्रनाथ को अपना मुकाम बनाने में संघर्ष का सामना करना पड़ा था। 
             लेकिन राजेन्द्रनाथ उतने ही अपने काम के प्रति काफी लापरवाह थे। उनकी इस लापरवाही से नाराज होकर उनके भाई प्रेमनाथ ने उन्हें घर से निकाल दिया था। फिर भी राजेन्द्रनाथ ने अपने आपको हिन्दी सिनेमा जगत में स्थापित कर दिया।

जन्म एवं परिवार  : -

                     हिन्दी सिनेमा के हास्य कलाकार राजेंद्रनाथ का जन्म 8 जून 1931 को मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ जिले में हुआ। वैसे इनका परिवार पाकिस्तान के पेशावर में रहता था। बाद में उनका परिवार मध्यप्रदेश के जबलपुर में आकर बस गया था।रिश्ते में राजकपूर उनके बहनोई लगते थे यहीं नहीं प्रेम चोपड़ा भी उनके बहनोई थे। उनके पिता एक पुलिस अधिकारी थे। 

              अपनी  पढ़ाई पूर्ण कर प्रेमनाथ अभिनेता बनने मुंबई चले गए थे। अपने भाई प्रेमनाथ के कहने पर ही राजेन्द्रनाथ 1947 में मुंबई पहुँच गए। यहाँ पर उन्होंने 'पृथ्वी थिएटर' से जुड़कर "आहुति" , पठान "और" शकुंतला " जैसे नाटकों में हिस्सा लिया।

इन नाटकों के पश्चात राजेन्द्रनाथ को फिल्मों में छोटे-मोटे रोल मिलना प्रारंभ हो गया था।                                   

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तीन भाई अभिनेता प्रेमनाथ, राजेन्द्रनाथ और नरेन्द्रनाथ   

  कॅरियर : -      

               इस दौरान हिन्दी सिनेमा में प्रेमनाथ ने अपना स्थान बना लिया था। उन्होंने अपना "पीएन प्रोडक्शन हाउस" आरम्भ किया था। उन्होंने 1953 में फिल्म "शगूफा" का निर्माण किया। जिसमे राजेन्द्रनाथ को सहायक कलाकार की भूमिका अदा की।
                     

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1953 में प्रेमनाथ द्वारा निर्मित फिल्म '' शगूफा '' का पोस्टर

             इस फिल्म का निर्देशन हेच.एस.रवैल  ने किया था। मुख्य भूमिका में प्रेमनाथ, अभिनेत्री बिना राय, सहायक भूमिका में राजेन्द्रनाथ के आलावा पूर्णिमा, यशोधरा काटजू, नाज़, बिपिन गुप्ता, गोपी कृष्ण आदि कलाकार थे। फिल्म के गीत राजेन्द्र कृष्ण ने लिखे थे तो संगीत सी. रामचंद्र का था।

 "शगूफा" फिल्म के पश्चात 1954 में एक और फिल्म "गोलकुंडा का कैदी" बनायी। लेकिन यह दोनों फ़िल्में बुरी तरह फ्लॉप हो गयी।

कॉमेडियन के रूप में : - 

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1956 में बनी फिल्म '' हम सब चोर है '' का पोस्टर
              1956 में फिल्मिस्तान की फिल्म "हम सब चोर है" में राजेन्द्रनाथ पहली बार एक कॉमेडियन के रूप में नजर आये। इस फिल्म में शम्मी कपूर, नलिनी जयवंत, आई.एस.जोहर, अमीता और प्राण थे। इसका निर्देशन आई.एस.जोहर ने किया था।                                        

कॅरियर में ब्रेक : -                       

                   1959 में सशधर मुखर्जी ने अपनी फिल्म '' दिल देके देखो '' में राजेन्द्रनाथ को कॉमिक रोल के लिए साइन किया। इस फिल्म को नासिर हुसैन ने निर्देशित किया था। इस फिल्म को उषा खन्ना ने संगीत दिया था  और गीतकार थे मजरूह सुल्तानपुरी गीतों की रचना की थी।  इसके आलावा राजेन्द्रनाथ ने हेच.एस.रवैल की फिल्म '' शरारत '' में भी हास्य कलाकार की भूमिका निभाई थी।                                               

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1959 की फ़िल्में '' दिल देके देखो '' और ''शरारत '' का पोस्टर
           फिल्म '' दिल देके देखो '' जबरदस्त हिट साबित हुई जिसके कारण राजेन्द्रनाथ की  किस्मत भी पलट गयी। अब वे सारे देश में एक हास्य कलाकार के रूप में जाने जा रहे थे। उनकी लोकप्रियता में वृद्धि होने लगी थी। फिल्म '' दिल देके देखो '' तक संघर्ष करने वाले राजेन्द्रनाथ के पास फ़िल्में खुद चलकर आने लगी थी।

         1963 में निर्देशक टी. प्रकाश राव की फिल्म '' हमराही '' में हास्य कलाकार राजेन्द्रनाथ ने अपने स्वभाव के विपरीत अभिनेत्री शशिकला के साथ एक खलनायक की भूमिका स्वीकारी, जबकि इस फिल्म के लीड रोल में राजेन्द्र कुमार के साथ अभिनेत्री जमुना थी। राजेन्द्रनाथ के आलावा महमूद, धूमाल, ओ. पी. रल्हन और आगा जैसे हास्य कलाकारों की अन्य भूमिकाओं में उपस्थिति दर्ज थी।                                          

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            राजेन्द्रनाथ की सबसे अच्छी भूमिका 1965 में निर्माता जी. पी. सिप्पी की फिल्म '' मेरे सनम '' रही। फिल्म में अभिनेत्री आशा पारेख तथा अभिनेता विश्वजीत लीड रोल में थे, तो अभिनेता राजेन्द्रनाथ '' प्यारे '' की भूमिका में नजर आये थे। राजेन्द्रनाथ ने हास्य कलाकार के आलावा फिल्म '' वचन '' तथा 1968 में फिल्म '' तीन बहुरानियाँ '' में सेकंड लीड रोल निभाया था।

             '' पोपटलाल '' नाम का पर्याय उनके नाम के साथ नासिर हुसैन द्वारा लिखित, निर्मित और निर्देशित 1961 की फिल्म "जब प्यार किसी से होता है" से जुड़ गया था। इस फिल्म में राजेन्द्रनाथ ने एक मसखरे की भूमिका निभाई थी। उनकी 1963 में बनी फिल्म "फिर वही दिल लाया हूँ" को बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट मन जाता है।

राजेन्द्रनाथ की कुछ फिल्मों के नाम : -  

           '' जानवर ''[1965], '' बहारों के सपने '' और '' एन इवनिंग इन पेरिस ''[1967], '' झुग गया आसमान '' [1968], '' प्रिंस ''[1969], '' जीवन मृत्यु '', '' पूरब और पश्चिम '' तथा '' तुम हसीन मै जवान ''[1970], '' हरे रामा हरे कृष्णा '', '' मै सुन्दर हूँ '' और '' धरकन '' [1972], '' कहानी किस्मत की '', और '' पत्थर और पायल '' [1974], '' छोटी सी बात '' [1976], '' द बर्निंग ट्रैन '' [1980], '' प्रेम रोग '' [1982], '' घर एक मंदिर '' और '' यादगार '' [1984], '' वीराना '', और '' प्यार का मंदिर '' [1988], '' प्यार का कर्ज '' [1990], '' बोल राधा बोल '' [1992] और '' इना मीना डिका '' [1994]      

राजेन्द्रनाथ का निधन : - 

         राजेन्द्रनाथ के बड़े भाई प्रेमनाथ का 1991 में निधन हो जाने के कारण वे पूरी तरह टूट चुके थे। एक हास्य कलाकार के चेहरे पर मायूसी के बादल मँडराने लगे थे। इसी मायूसी के दौर से गुजरते हुई जिंदगी की गाडी को आगे बढ़ा रहे थे तभी 1998 में छोटे भाई नरेंद्रनाथ का भी निधन हो गया। मायूसी के दल-दल में फंसे राजेन्द्रनाथ को गहरा सदमा पहुँचा। उन्होंने अभिनय से दूरी बनाते हुए एकांत वास को अपने गले लगाया। एकांतवास के दौरान 2008 में उनको दिल का दौरा पड़ा और हिन्दी सिनेमा जगत में 253 से अधिक फिल्मों में काम करनेवाले लोकप्रिय हास्य कलाकार राजेन्द्रनाथ ने दुनिया से अलविदा कह दिया।

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