हिंदी सिनेमा जगत में एक सफल फिल्म का निर्माण करने के लिए सबसे पहले अभिनेता - अभिनेत्री के साथ साथ एक अच्छी कहानी की आवश्यकता होती है। लेकिन इनके दम पर फिल्म लोकप्रियता की मंजिल तय नहीं कर सकती। सं.1931 में जब प्रथम बोलती फिल्म '' आलम आरा '' बनी थी, उसी दौर से फिल्मों में गीत - संगीत का प्रचलन आरम्भ हो गया था।

              '' Bollywood '' की हिंदी फ़िल्में बिना संगीत के बन ही नहीं सकती। आज हमारे हिंदी फ़िल्मी दुनिया के इतिहास में अपने मनमोहक संगीत  द्वारा उन फिल्मों को लोकप्रियता के शिखर पर पहुंचने में सहायता मिलती है।

               जिस तरह अभिनेता - अभिनेत्रियों को उनके अभिनय के लिए राष्ट्रीय पुरस्कारों के अतिरिक्त फिल्मफेयर पुरस्कार प्रदान किये जाते है उसी तरह फिल्मों के बेहतरीन संगीत के लिए संगीत निर्देशक को भी पुरस्कृत किया जाता है। इसकी मिसाल देते हुए हिंदी फिल्मों के इतिहास में कई दिग्गज संगीत निर्देशकों ने अपने संगीत के द्वारा फिल्मों को सफलता दिलाई है। 

                                   

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फिल्मफेयर अवार्ड ट्रॉफी

                  भारतीय सिनेमा के दिग्गज संगीतकारों में सचिनदेव बर्मन जिन्हे हम एस. डी. बर्मन के नाम से जानते है, मदन मोहन, नौशाद अली, ओ. पी. नय्यर, शंकर - जयकिशन, आर. डी. बर्मन, अनिल बिस्वास, उषाखन्ना, कल्याणजी - आनंदजी, लक्ष्मीकांत - प्यारेलाल, रविंद्र जैन, बप्पी लहरी, रोशन और ए. आर. रेहमान के अतिरिक्त कई अन्य संगीत निर्देशक है। 

 पुरस्कार प्राप्त संगीतकार : -

                                                                                   
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संगीतकार सचिनदेव बर्मन

  एस. डी. बर्मन : - एस. डी. बर्मन का वास्तविक नाम सचिन देव बर्मन है। उनका जन्म बंगाल प्रेसीडेन्सी के कुमिल्ला में जो वर्त्तमान बांगला देश में हुआ है। 

             सचिन देव बर्मन के संगीत निर्देशन में कई जानेमाने गायक कलाकारों ने गाने गाए है, जिनमे प्रमुखता से स्व. लता मंगेशकर, मोहम्मद रफ़ी, हेमंत कुमार, आशा भोसले, गीता दत्त, मुकेश, तलत महमूद, शमशाद बेगम, और किशोर कुमार शामिल है। 

फिल्मफेयर अवार्ड : -

        फिल्म '' टैक्सी ड्रायवर '' के लिए सं.1954 में '' उत्कृष्ट संगीत निर्देशक '' पुरस्कार।

        फिल्म '' अभिमान '' के लिए सं.1973 में '' उत्कृष्ट संगीत निर्देशक '' पुरस्कार। 

राष्ट्रीय फ़िल्म अवार्ड : -

        फिल्म '' आराधना '' के लिए सं.1970 में '' बेस्ट मेल प्लेबैक सिंगर '' का राष्ट्रीय फिल्म अवार्ड। 

        फिल्म '' जिंदगी जिंदगी '' के लिए सं.1974 में '' बेस्ट म्यूजिक डायरेक्टर '' का अवार्ड। 

              इसके आलावा सचिन देव बर्मन को सं. 1934 में कलकत्ता में आयोजित ' बंगाल ऑल इंडिया म्यूजिक कॉन्फ्रेंस ' द्वारा '' गोल्ड मेडल ''

संगीत नाटक अकेडमी का अवार्ड सं.1958 में प्राप्त हुआ। 

 ' एशिया फिल्म सोसाइटी ' का अवार्ड सं. 1959 में। 

                  भारत सरकार ने सचिन देव बर्मन को सं. 1969 में '' पद्मश्री '' पुरस्कार से सन्मानित किया है। वहीं उनकी स्मृति में डाक - तार विभाग ने सं. 2007 में पोस्टेज स्टैम्प जारी किया है। 

                                                 

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संगीतकार लक्ष्मीकांत

लक्ष्मीकांत : - लक्ष्मीकांत का वास्तविक नाम लक्ष्मीकांत शांताराम कुदलकर है। उनका जन्म 3 नवम्बर 1937 को मुंबई में हुआ था। लक्ष्मीकांत जी ने अपना बचपन बहुत ही ग़रीबी में बिताया था। 

          उन्होंने अपना फ़िल्मी कॅरिअर बचपन में ही शुरू किया था। उन्होंने एक बाल कलाकार के रूप में सं. 1949  में फिल्म '' भक्त पुंडलिक '' और सं. 1950 में फिल्म '' आँखें '' से की थी।           

                                                                                 
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संगीतकार प्यारेलाल
           प्यारेलाल : - प्यारेलालजी का जन्म उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में 3 सितम्बर 1940 में पंडित रामप्रसाद शर्मा के घर हुआ था। उनके पिता पंडित रामप्रसाद शर्मा एक प्रसिद्ध बिगुल वादक थे। प्यारेलालजी ने बचपन से ही वॉयलिन बजाना सीखना आरम्भ कर दिया था। 

                      प्यारेलाल के घर की वित्तीय स्थिति ख़राब होने के कारण शुरुवाती दौर में उन्हें कई स्टूडियो में वॉयलिन बजाना पड़ता था। 

           लक्ष्मीकांत - प्यारेलाल इस संगीत निर्देशक की लोकप्रिय जोड़ी ने हिंदी सिनेमा जगत की कई फ़िल्मों को अपने संगीत से सजाया है। इन्होने सं. 1963 से फ़िल्मों में संगीत देना आरंभ किया था। 

            इस संगीतकार जोड़ी के नाम दर्जनों हिट फिल्मों का संगीत निर्देशन करने का रिकॉर्ड है उनमे - सं. 1964 की फिल्म '' दोस्ती '' जिसका गीत '' राही मनवा दुःख की चिंता क्यों सताती है '', सं. 1967 की फिल्म '' मिलन '' जिसका गीत '' सावन का महीना '',सं. 1969 की फिल्म ''दो रास्ते '' का गीत '' बिंदिया चमकेगी '' और सं. 1973 में फिल्म '' मनचली '' का गीत '' मनचली कहां चली '' आज भी ये गीत लोगों की जुबां पर रहते  है। 

फिल्मफेयर के सर्वश्रेष्ठ संगीतकार पुरस्कार : -

सं. 1965 में फिल्म '' दोस्ती '' के लिए, सं.1968 में फिल्म '' मिलन '' के लिए, सं.1970 में फिल्म '' जीने की राह '' के लिए, सं.1971में फिल्म '' दो रास्ते '' के लिए, सं. 1973 में फिल्म '' शोर '' के लिए, सं.1974 में फिल्म '' बॉबी '' के लिए और फिल्म '' दाग़ '' के लिए, सं. 1975 में फिल्म '' रोटी कपडा और मकान '' के लिए, सं.1980 में फिल्म '' जानी दुश्मन '' के लिए, सं. 1981 में फिल्म '' क़र्ज़ '' के लिए और फिल्म '' आशा '' के लिए, सं. 1982 में फिल्म '' एक दूजे के लिए '', सं.1983 में फिल्म '' प्रेम रोग '' के लिए, सं. 1984 में फिल्म '' हीरो '' के लिए, सं.1986 में फिल्म '' मेरी जंग '' के लिए, सं. 1989 फिल्म '' तेज़ाब '' के लिए, सं. 1990 में फिल्म '' राम लखन '' के लिए और सं. 1992 में फिल्म '' सौदागर '' के लिए सर्वश्रेष्ठ संगीतकार पुरस्कार प्राप्त हुआ है।

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संगीतकार राहुलदेव बर्मन

               आर. डी.बर्मन का वास्तविक नाम राहुल देव बर्मन है। वैसे हिंदी फ़िल्मी दुनिया में इन्हे '' पंचमदा '' के नाम से भी जाना जाता है। राहुल देव बर्मन का जन्म 27 जून 1939 को कोलकाता में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा बालीगंज गवर्नमेंट हाई स्कूल से की थी। उन्होंने अपना फ़िल्मी कैरियर अपने पिता के सहायक के रूप में आरम्भ किया था।  

           आर. डी. बर्मन ने स्वतंत्ररूप से पहली बार  सं.1961 में उस्मान अली द्वारा नर्मित फिल्म '' छोटे नवाब '' का संगीत निर्देशन किया था। उनकी हिट फिल्म में सं 1966 में बनी फिल्म '' तीसरी मंजिल '' को जाता है।आर. डी. अक्सर जिस फिल्म का संगीत निर्देशन करते, उस फिल्म में एक गाना जरूर गाते। उन्होंने करीब 18 फिल्मों में अपनी आवाज़ से गीतों में जादू भरा है। 

         '' Bollywood '' में राहुल देव बर्मन ने सं.1970 में निर्माता - निर्देशक शक्ति सामंत की फिल्म '' कटी पतंग '' को संगीत निर्देशन दिया था। इसी फिल्म के चलते उनको लोकप्रियता की मंजिल मिल गई। 

       उनके संगीत निर्देशन में किशोर कुमार, आशा भोसले, लता मंगेशकर, और मोहम्मद रफ़ी आदि ने उनके संगीत को अपनी आवाज प्रदान की है। राहुल देव बर्मन केवल हिंदी सिनेमा तक सिमित नहीं रहे। उन्होंने तेलुगु, मराठी, तमिल तथा बांगला फिल्मों को भी अपना संगीत दिया है। 

फिल्मफेयर का सर्वश्रेष्ठ संगीतकार पुरस्कार : -  

सं. 1983 में फिल्म '' सनम तेरी कसम '', सं.1984 में फिल्म '' मासूम '',और सं. 1996 में फिल्म '' 1942 ए लव स्टोरी ''

   उनकी लोकप्रिय फिल्मों में सं.1971 में फिल्म '' हरे रामा हरे कृष्ण '',और फिल्म ''अमर प्रेम '', सं.1972 में फिल्म '' सीता और गीता '' और फिल्म '' मेरे जीवन साथी '', सं.1975 में फिल्म '' शोले '', सं.1977 में फिल्म '' हम किसी से कम नहीं '', सं.1982 में फिल्म '' तेरी कसम '' आदि फ़िल्में है। 

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संगीतकार रविंद्रजैन

                     रविंद्र जैन : - राजश्री प्रोडक्शन की सं.1975 की फिल्म ''

गीत गाता चल '' जिसका निर्माण ताराचंद बड़जात्या ने किया था।  इस फिल्म का बेहद मधुर गीत '' गीत गाता चल,ओ साथी गुनगुनाता चल '' और सं 1976 में  फिल्म '' चितचोर '' का गीत '' जब दीप जले आना '' जैसे मधुर गीतों को अपने संगीत में पिरोनेवाले संगीत निर्देशक रविंद्र जैन को हम कैसे भूल सकते है ?

                  '' Bollywood '' की हिंदी सिनेमा के लोकप्रिय संगीतकार एवं गीतकार रविंद्र जैन का जन्म उत्तर प्रदेश के अलीग़ढ में 28 फरवरी 1944 को संस्कृत के पंडित एवं आयुर्वेदाचार्य श्री. इंद्रमणि जैन के घर हुआ था। 

                  रविंद्र जैन हिंदी सिनेमा में पदार्पण करने से पहले केवल भजन गाते थे। 

रविंद्र जैन के लोकप्रिय गाने : -

       सं. 1985 में फिल्म '' राम तेरी गंगा मैली '' का गीत '' सुन सायबा सुन, प्यार की धुन '',

       सं. 1975 में फिल्म '' गीत गाता चल '' का गीत '' श्याम तेरी बंसी पुकारे राधा नाम '',

        सं. 1978 में फिल्म '' अँखियों के झरोखों से '' का गीत '' अँखियों के झरोखों से, मैंने जो देखा साँवरे '',

        सं. 1973 में फिल्म ''  चोर मचाए शोर '' का गीत '' ले जायेंगे, ले जायेंगे, दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे।

फिल्मफेयर का सर्वश्रेष्ठ संगीतकार पुरस्कार : - 

  सं.1985 में फिल्म '' राम तेरी गंगा मैली '' के लिए सर्वश्रेष्ठ संगीतकार पुरस्कार प्राप्त। 

  सं. 2015 में भारत सरकार द्वारा '' पद्मश्री '' पुरस्कार से सन्मानित।